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शिव पार्वती विवाह स्थल ,यहा हुई थी शिव की शादी

उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष मंदिर है जहा शिव-पार्वती जी ने पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है,आइए जानते है मंदिर के बारे

कहा है त्रियुगीनारायण मंदिर, क्यों है खास

ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है प्राचीन समय में त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी यहा शिव पार्वती के विवाह मे विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीति रिवाजों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा जी पुरोहित के रूप मे आगे आए थे। उस समय सभी देवता गानों ने इस विवाह में भाग लिया था विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रह्म शीला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इस मंदिर के महात्म का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है यहां पर रुद्रप्रयाग आकर आसानी से पहुचा जा सकता हैत्रिजुगीनरायण गाँव पौराणिक क्षेत्र हिमवत की राजधानी था। यहीं स्थित है त्रियुगीनारायण मंदिर जहाँ सतयुग में माता पार्वती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। इस दिव्य विवाह में समस्त ऋषि-मुनि और देवी देवताओं ने भाग लिया था। इस मंदिर में सम्पन्न हुए विवाह की पूरी जिम्मेदारी भगवान विष्णु ने स्वयं की थी और विवाह में माता पार्वती के भाई के रूप में सभी परंपराओं का निर्वहन भी भगवान विष्णु ने ही किया था। मंदिर की संरचना बिल्कुल केदारनाथ मंदिर के समान ही है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर त्रेतायुगीन है

शादी करने के लिए दूर दूर से आते है कपल

भगवान शिव के विवाह की मान्यता होने के कारण लोग यहां दूर दूर से विवाह करने के लिए आते है उत्तराखंड सरकार ने साल 2018 में त्रियुगीनारायण मंदिर को डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में शुरू किया था। इसके पीछे केवल एक ही उद्देश्य रहा था, यहां दूर-दूर से लोग मंदिर में शादी करने के लिए जरूर आएं। इस तरह से यहां रह रहे लोग को रोजगार भी मिलता डेस्टिनेशन वेडिंग पॉइंट की घोषणा के बाद से यहां कई नामी हस्तियां भी शादी और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए आती हैं। बता दें, इस जगह पर शादी के लिए मार्च 2024 तक की बुकिंग मिल चुकी है।त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर में साल भर देश-विदेश से लोग यहां शादी करने के लिए आते हैं। मंदिर में शादी करने के लिए 1100 रुपए से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इसके लिए जिन जोड़ों को विवाह करवाना है, उनके माता-पिता का सहमत होना जरूरी है। इसके साथ ही दूल्हा-दुल्हन का आधार कार्ड और फोन नंबर भी मंदिर समिति के पास रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। मंदिर में शादी के लिए निश्चित तिथि तय करके जोड़ों को समिति द्वारा बता दी जाती हैं, इसके बाद ही यहां शादियां होती है

महाशिव रात्रि पर होती है अधिक शादियां

पुरोहित समाज के अध्यक्ष का कहना है कि मुहूर्त को देखकर ही मंदिर में शादी समय तय होता है। लेकिन मंदिर में विजयदशमी और महाशिवरात्रि के दिन शादी के लिए कई जोड़े यहां आते हैं। साथ ही बताते हैं, मंदिर में अगर किसी भी कपल को शादी करनी है, तो उसे मंदिर के पास ही पुरोहित समाज के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साल भर मंदिर में करीबन 200 शादियां होती है

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