भारत की हार का कारण क्या रहा|ये ही कारण रहा भारत की हार का
कौन से कारण रहे भारत की हर के |भारत इन्ही कारणो की वजह से हारा
वर्ल्ड कप फाइनल
वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने हरा दिया है. इस तरह भारतीय टीम का तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना टूट गया. ऑस्ट्रेलिया के सामने 241 रनों का लक्ष्य था. ऑस्ट्रेलिया ने 43 ओवर में 4 विकेट पर लक्ष्य हासिल कर लिया. ऑस्ट्रेलिया की जीत के हीरो ओपनर ट्रेविस हेड रहे. दरअसल, एक वक्त ऑस्ट्रेलिया के 3 बल्लेबाज 48 रनों तक पवेलियन लौट गए थे, लेकिन ट्रेविस हेड और मार्सन लेबुशेन टीम इंडिया को कोई मौका नहीं दिया
ये कुछ रहे हार के कारण
- खराब फिल्डिंग – भारतीय बल्लेबाज मात्र 240 रन बना सके. ऐसे में भारतीय फील्डरों से कसी हुई फील्डिंग की उम्मीद थी।लेकिन टीम इंडिया के फील्डरों ने बड़े मौके पर निराश किया।भारतीय फील्डरों ने रन आउट के कई मौके गवाएं, मसलन रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा।
- फ्लाप गेंदबाजी – इस वर्ल्ड कप में भारतीय गेंदबाजों ने खासा प्रभावित किया, लेकिन खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के सामने फ्लॉप साबित हुए। जसप्रीत बुमराह के अलावा मोहम्मद शमी, रवीन्द्र जडेजा, मोहम्मद सिराज और कुलदीप यादव ने निराश किया।टीम इंडिया के गेंदबाज खिताबी मुकाबले में फीके नजर आए।जसप्रीत बुमराह ने 2 जबकि सिराज और शमी ने 1-1 विकेट लिए
- बल्लेबाजों की ओर से निराशा – टॉस हारने के बाद बल्लेबाजी करने उतरे टीम इंडिया के बल्लेबाज नियमित अंतराल पर पवैलियन लौटते रहे। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया, लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने कई लापरवाही भरे शॉट खेलकर अपने विकेट फेंके। टीम इंडिया के लिए महज विराट कोहली और केएल राहुल पचास रनों का आंकड़ा छू सके, इसके अलावा बाकी बल्लेबाजों का फ्लॉप शो देखने को मिला। मिडिल ऑर्डर ने कुछ देर तक संघर्ष किया भी मगर वे भी एक निश्चित अंतराल में आउट होते चले गए जिस कारण भारत तीन 240 रन ही बना पाए। खराब बल्लेबाजी यह भी हार का एक मुख्य कारण रहा।
- ऑस्ट्रेलिया की आक्रामक शुरुआत-भारत ने ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ़ 241 रनों का लक्ष्य दिया था. छोटे टार्गेट के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज़ों ने बेहद तेज़ शुरुआत की और पहले ही दो ओवर में 28 रन बना डाले।
इससे भारतीय गेंदबाज़ों को हावी होने का मौक़ा नहीं मिल पाया. वैसे भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ी कभी भी ताश के पत्तों की तरह भड़भड़ाती नहीं. टीम आख़िरी दम तक हार नहीं मानती।
अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 91 रन पर 7 विकेट गँवाने के बाद भी टीम जीत जाए तो यह टीम की इच्छाशक्ति को दर्शाता है. फ़ाइनल में 47 रन पर तीन विकेट गिर जाने के बाद मार्नस लाबुशेन और ट्रैविस हेड ने अपनी योजनाबद्ध बल्लेबाज़ी से बाज़ी पलटने नहीं दी।
कप्तान रोहित शर्मा ने पावरप्ले के बाद छह ओवर जडेजा और कुलदीप से डलवाए. हेड और लाबुशेन को जमने का मौक़ा मिल गया. दोनों ने शतकीय साझेदारी करके मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में कर दिया।
- पिच की परख नहीं कर पाई टीम इंडिया–अहमदाबाद में फ़ाइनल की पिच थोड़ी धीमी थी और सूखी भी।टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों ने पिच का पूरा फ़ायदा उठाया। कप्तान पैट कमिंस ने एक के बाद एक कटर डाल कर भारतीय बल्लेबाज़ों के ख़ासा परेशान किया
जब ऑस्ट्रेलियाई टीम बल्लेबाज़ी करने उतरी तो पिच सपाट हो चुकी थी।ओस के कारण भारतीय गेंदबाज़ों के हाथों से गेंद फिसल रही थी। आउटफ़ील्ड भी पहली पारी की बनिस्बत तेज़ हो गया था
हालाँकि कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस के बाद कहा था कि टॉस जीतकर भी वे पहले बल्लेबाज़ी ही करते। ज़ाहिर है भारतीय टीम मैनेजमेंट पिच को पढ़ नहीं पाया और उसके अनुसार, योजना नहीं बना पाए।