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Supertech Twin Tower Case History: आखिर क्यूँ गिराया गया 800 करोड़ का ट्विन टावर, जानिए इसकी पूरी कहानी ?

Introduction:-

Supertech Twin Tower Case History: नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज की इस पोस्ट मे जिसमे हम आपको “Supertech Twin Tower Case History” के बारे मे विस्तार से बताएंगे. जैसा की आप सभी जानते है की नोएडा मे बने सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त 2022 को गिराया गया है. लेकिन इसके पीछे कुछ ऐसे राज है जिनके पीछे से पर्दा उठने के बाद ही यह 800 करोड़ की संपत्ति पर पानी फेरा गया है. यदि आप भी कुछ दिनों से लगातार Twin Tower के बारे मे सुन रहे है तो जरूर आपके मन मे यह जानने की इच्छा होगी की आखिर क्यूँ गिराया गया 800 करोड़ का ट्विन टावर. तो यदि ऐसा है तो आज आपको इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे. तो चलिए जानते है और शुरू करते है आज की पोस्ट को.

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क्यों गिराए जा रहे Supertech Twin Tower?

यह विवाद करीब 18 साल पुराना है. Noida के सेक्टर 93-A में Supertech एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का बाँटना 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन बाटीं थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी. Supertech एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को Builder के नाम कर दी गई.

Supertech Twin Tower Case History

लेकिन ये दो प्लॉट्स 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बन गया. इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया. इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना थी. यदि नक्शे से देखा जाए तो जहां पर आज ट्विन टावर थे वहाँ पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था और इसके साथ ही एक छोटी इमारत को बनाने का प्रावधान किया गया था. यहाँ तक सभी कुछ ठीक चल रहा था और 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया था.

Supertech Twin Tower को गिराने के लिए लड़ी गई लंबी लड़ाई ?

दरअसल यह कहानी कुछ इस तरह से शुरू की गई. ट्विन टावर के बायर्स ने बिल्डर पर आरोप लगाया की इन इमारतों को बनाने मे नियमों का पालन नहीं किया गया है. वही पर रहने वाले यूबीएस तेवतिया का कहना है कि टावर्स की ऊंचाई बढ़ने पर दो टावर के बीच का अंतर बढ़ाया जाता है. खुद फायर ऑफिसर ने कहा कि एमराल्ड कोर्ट से एपेक्स या सियाने की कम से कम दूरी 16 मीटर होनी चाहिए. लेकिन एमराल्ड कोर्ट के टावर से इसकी दूरी करीब 9 मीटर थी. इस नियम के उल्लंघन पर नोएडा अथॉरिटी ने फायर ऑफिसर को कोई जवाब नहीं दिया. 16 मीटर की दूरी का नियम इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ऊंचे टावर के बराबर में होने से हवा, धूप रुक जाती है.

साथ ही ऐसे हालातों मे यदि आग लग जाए तो उसके भी जायद फैलने का खतरा रहता है. वहाँ पर रहने वाले लोगों का आरोप है की नए नक्शे का इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया है. तेवतिया का कहना है कि बिल्डर ने IIT रुड़की के एक असिस्टेंट प्रोफेसर से निजी मंजूरी लेकर निर्माण कार्य शुरू करा दिया. जबकि इस तरह के प्रोजेक्ट में IIT की आधिकारिक मंजूरी आवश्यक है जिसका यहां पर पालन नहीं किया गया है.

Supertech Twin Tower को गिराने मे हुआ कितना नुकसान ?

ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपए का खर्च आने का अंदाजा है. ये खर्च भी Supertech को उठाना होगा. लेकिन इसके पहले कुल 950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है. गिराने का आदेश जारी होने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. ये वैल्यू तब है जबकि विवाद बढ़ने से इनकी वैल्यू घट चुकी थी.

तो कुछ इस तरह से 800 करोड़ की संपत्ति को तहस नहस कर दिया गया है. इसमे बायर्स के साथ धोकादड़ी की गई है. बता दे की अब यह 28 अगस्त को ब्लास्ट करके तहस नहस कर दिया गया है. तो यही इसके पीछे की पूरी कहानी थी जो हमने आपको बताई है हालांकि आपके लिए यह जानकारी थोड़ी कम है लेकिन फिर भी कुछ हद तक ऐसा ही हुआ है. इसके बारे मे और भी अधिक जानने के लिए आप हमे कमेन्ट करे हम पूरी कोशिश करेंगे एक अच्छी पोस्ट रेडी करने की. तो यही था इस पोस्ट मे मिलते है एक और नई अपडेट के साथ तब तक “जय हिन्द जय भारत”

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