संसद कांड
दोपहर को लोकसभा की कार्यवाही चल रही थी. शून्यकाल के दौरान पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल स्पीकर की कुर्सी पर बैठे हुए थे।
उसी समय अचानक एक शख़्स दर्शक दीर्घा से सदन के चैंबर में गिरता हुआ नज़र आया।
कुछ सांसदों ने बताया कि शुरू में उन्हें लगा कि कोई गिर गया है लेकिन तभी एक और शख़्स दर्शक दीर्घा की रेलिंग से उतरता नज़र आया।
कुछ ही पलों में एक शख़्स डेस्क के ऊपर चलते हुए आगे बढ़ने लगा. उसने अपने जूतों से कुछ निकाला और अचानक पीले रंग का धुआं निकलने लगा।
इसके बाद सदन में अफ़रा-तफ़री फैल गई. हंगामे और धुएं के बीच कुछ सांसदों ने इन युवकों को पकड़ लिया. कुछ ने इनकी पिटाई भी की।
कुछ ही देर में सदन के सुरक्षाकर्मियों ने इन दोनों युवकों को अपने कब्ज़े में ले लिया. लोकसभा की कार्यवाही के वीडियो में दिखता है कि इस माहौल के बीच पीठासीन अधिकारी ने दो बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
विपक्ष के सांसद सस्पेंड क्यों किए गए
संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर विपक्ष बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं. हंगामा करने और चेयर का अपमान करने के आरोप में अब तक विपक्ष के 15 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है।
संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में विपक्षी सांसद गृह मंत्री के बयान और आरोपियों के पास जारी करने वाले बीजेपी सांसद के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं. हंगामा करने और चेयर का अपमान करने के आरोप में अब तक विपक्ष के 15 सांसदों को सस्पेंड किया गया है।
संसद से जिन 15 सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें से 9 कांग्रेस, 2 सीपीएम, 2 डीएमके और एक सीपीआई पार्टी से हैं. कांग्रेस के जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें टीएन प्रतापन, हिबी इडेन, एस जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस का नाम शामिल है. इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा लाया गया था।
जिसे स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान भर्तृहरि महताब ने पारित किया. इन सांसदों को शीतकालीन सत्र के बचे हुए दिनों के लिए निलंबित किया गया है. इस दौरान विपक्ष के सांसद लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देखे गए।
संसद मे हंगामा किसने किया
पुलिस ने इस घटना को लेकर सख़्त आतंकवाद रोधी क़ानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है।
कुल छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जिनमें संसद भवन के अंदर और बाहर गिरफ़्तार किए गए चार लोगों के अलावा ललित और विक्रम नाम के दो और शख़्स शामिल हैं।
इनमें से विक्रम को गुरुग्राम से हिरासत में लिया गया, जबकि पुलिस की टीमें अलग-अलग जगहों पर ललित की तलाश में दबिश दे रही हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि ये छह अभियुक्त पिछले चार साल से सोशल मीडिया के ज़रिये एक-दूसरे को जानते थे।
अधिकारियों ने बताया, “उनकी विचारधारा एक ही है और इसलिए उन्होंने सरकार को संदेश देने का फ़ैसला किया. सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इन्हें किसी संगठन से ऐसा करने के आदेश मिले थे।
प्रदर्शन कर रहे युवक ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और ‘भारत मां की जय’ जैसे नारे लगा रहे थे।
पीटीआई की ख़बर के अनुसार, पूछताछ के दौरान संसद के बाहर प्रदर्शन करने पर हिरासत में लिए गए अमोल शिंदे ने कहा कि वे लोग किसानों के आंदोलन, मणिपुर संकट और बेरोज़गारी के कारण नाराज़ थे, इसलिए इस घटना को अंजाम दिया।