आग से धधका उत्तराखंड
उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण बेकाबू होते जा रही है गढ़वाल हो या कुमाऊं यहां कई जगहों पर जंगलों में आग की लपटें नजर आ रही हैं. एक जगह अगर आग पर काबू पाया जाता है तो फिर दूसरी जगह से खबर आती है उत्तराखंड में अप्रैल के पहले हफ्ते से लगी आग से अब तक 11 जिले प्रभावित हुए हैं।
इसमें पौड़ी रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी ज्यादा प्रभावित हैं और देहरादून का कुछ हिस्सा शामिल है। जबकि कुमाऊं मंडल का नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ ज्यादा प्रभावित हैं। और लगातार यह आग बढ़ती ही जा रही है।
कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार, 8 मई को सुनवाई हुई उत्तराखंड में लगी आग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार बारिश या कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) के भरोसे नहीं बैठे। और जल्द ही इसकी रोकथाम के उपाय करें। राज्य सरकार ने कोर्ट में अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की।
उत्तराखंड सरकार ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच को बताया कि नवंबर 2023 से अब तक जंगलों में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार ये आग इंसानों ने लगाई गई।सरकार के वकील जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि उत्तराखंड के जंगलों का सिर्फ 0.1% हिस्से में ही आग चपेट में है।
इस मामले में अब 15 मई को सुनवाई होगी।जंगलों की आग में झुलसने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है और चार लोग गंभीर रूप से घायल है। आग से 1316 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।
सरकार क्या कर रही है आग बुझाने के लिए
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि सरकार जितने आराम से ब्योरा दे रही है हालात उससे ज्यादा गंभीर हैं जंगल में रहने वाले जानवर, पक्षी और वनस्पति के साथ आसपास रहने वाले निवासियों के अस्तित्व को भी भीषण खतरा है और फिर भी सरकार शांत बैठी हुई। सरकार कागजी कार्रवाई तो कर रही है पर जमीन पर उनका कुछ खास असर होते नही दिख रहा है।
सरकार ने अब आग बुझाने के लिए सेना से गुहार लगाई है वायुसेना के हेलिकॉप्टर ने पौड़ी गढ़वाल इलाक़े में कई चक्कर लगाए थे और हर बार पानी और केमिकल छिड़ककर सुलगते जंगलों को शांत करने की कोशिश की थी मगर आग बड़े पैमाने पर लगी है तो अभी इसके सकारात्मक परिणाम सुनने को नहीं मिले है। सरकार केवल बारिश के भरोसे बैठी है।