हर घर तिरंगा अभियान : कितने तिरंगे बिके कितने का हुआ कुल व्यापार की पूरी जानकारी ?
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तो नमस्कार दोस्तो । कैसे है आप सब , आशा करते है आप सब ठीक ही होंगे , आपका एक बार फिर से बहुत बहुत स्वागत है । हमारी आज की पोस्ट हर घर तिरंगा अभियान : कितने तिरंगे बिके कितने का हुआ कुल व्यापार की पूरी जानकारी ? मे , तो आपको बता दे तिरंगे के व्यापार ने इस बार रिकॉर्ड तोड़ दिया है , लगभग 30 करोड़ तिरंगे इस बार पिछले 20 दिनो मे बेचे गए है । आज की हमारी पोस्ट हर घर तिरंगा अभियान : कितने तिरंगे बिके कितने का हुआ कुल व्यापार की पूरी जानकारी ? मे हम आपको पूरी जानकारी देने वाले है तो आइये पोस्ट को शुरू करते है ।
हर घर तिरंगा अभियान :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान ने लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत की पहल को खासी तेजी मिली है. हर घर तिरंगा अभियान से देश भर में इस बार 30 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री से लगभग 500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT )ने कहा कि राष्ट्रभक्ति और स्व-रोजगार से जुड़े इस अभियान ने कोआपरेटिव व्यापार के लिए संभावनाएं खोल दी हैं.
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तिरंगा के प्रति लोगों के समर्पण और उत्साह को देखते हुए कैट ने प्रधानमंत्री मोदी से इस साल के 15 अगस्त से 15 अगस्त 2023 तक की अवधि को भारत की स्वतंत्रता के समाप्त होने पर “स्वराज वर्ष” के रूप में घोषित करने की अपील की है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि देश के लोगों की तिरंगे की अभूतपूर्व मांग को पूरा करने के लिए लगभग 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में 30 करोड़ से अधिक तिरंगे का निर्माण किया.
आजादी का अमृत महोत्सव :
आजादी के 75 साल पूरे होने से अवसर पर इस साल भारत सरकार स्वतंत्रता दिवस को बेहद खास तरीके से सेलिब्रेट कर रही है। आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत पूरे साल देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। बीते दिनों आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के ही तहत हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत देशवासियों को 13-15 अगस्त तक अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहराने की अपील की गई थी।
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में संशोधन से आसान हुई राह :
सीएआईटी ने बताया कि 2022 में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में हुए संशोधन से झंडे की उपलब्धता आसान हुई और 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। मालूम हो कि इस संशोधन के तहत हाथ से काटे बुने हुए या मशीन से बने, कपास, ऊन, रेशम खादी के अलावा पॉलिएस्टर या मशीन से बने झंडे के निर्माण की अनुमति दी गई। जिसके बाद बड़ी संख्या में तिरंगा निर्माण के कुटीर उद्योगों की चल पड़ी। छोटे व मंझोलें बाजारों में स्थानीय टेलर भी तिरंगा बनाने लगे।
पहले सामान्य तौर पर 150-200 करोड़ का होता था कारोबार :
सीएआईटी केअध्यक्ष भारतीय और सचिव खंडेलवाल ने आगे बताया कि पिछले वर्षों में स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगों की बिक्री सालाना करीब 150-200 से करोड़ रुपये तक सीमित रहती थी। लेकिन, हर घर तिरंगा अभियान ने इसमें कई गुना बढ़ोतरी कर दी है। इस अभियान की सफलता का प्रमाण वाकई घर-घर में नजर आ रहा है और लोगों ने काफी गर्व के साथ अपने राष्ट्र ध्वज को शान से फहरा रखा है।