Biography

कलयुग के श्री कृष्ण स्वामी प्रेमानंद जी महाराज के बारे में

स्वामी जी से मिलने बड़ी बड़ी हस्ती क्यों आती है

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन

प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ प्रेमानंद जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है सबसे पहले प्रेमानंद जी के दादाजी ने संन्यास ग्रहण किया साथ ही इनके पिताजी भी भगवान की भक्ति करते थे और इनके बड़े भाई भी प्रतिदिन भगवत का पाठ किया करते थे।

प्रेमानंद जी के परिवार में भक्तिभाव का माहौल था और इसी का प्रभाव उनके जीवन पर भी पड़ा. प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि, जब वे 5वीं कक्षा में थे, तभी से गीता का पाठ शुरू कर दिया और इस तरह से धीरे-धीरे उनकी रुचि आध्यात्म की ओर बढ़ने लगी।

साथ ही उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी भी होने लगी. जब वे 13 वर्ष के हुए तो उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का फैसला किया और इसके बाद वे घर का त्याग कर संन्यासी बन गए. संन्याली जीवन की शुरुआत में प्रेमानंद जी महाराज का नाम आरयन ब्रह्मचारी रखा गया।

इस वजह से बड़े बड़े लोग मिलते आते है महाराज से

प्रेमानंद जी महाराज के वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं. वह लोगों को भक्ति मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं. साथ ही उनके जीवन में आ रही परेशानी या अध्यात्म से जुड़े सवालों के जवाब भी देते है

अपने चरित्र और मन से साधारण व्यक्ति श्री प्रेमानंद जी महाराज की बातें सुनने के लिए ही तो बड़ी-बड़ी हस्तियां उनसे अक्सर मिलने आया करती है उनके पास विराट कोहली जैसे सेलिब्रिटी आ चुके है वे व्यक्तिगत तौर पर लोगों के परेशानी के करण और उपाय दोनों बताते है।

इन्हे कलयुग का कृष्ण क्यों कहा जाता है

श्री प्रेमानंद महाराज जी चरित्र से एक सरल व्यक्ति हैं उनके मुख पर श्री कृष्णा जैसा ही एक तेज है तथा उनके बताए गए सभी रास्ते वह बातें सटीक बैठते हैं जिस प्रकार की श्री कृष्ण जी के बैठते थे वे श्री कृष्ण जी की ही भांति सरल और स्पष्ट बात कहते हैं तथा जीवन के कल्याण के लिए श्री कृष्ण की ही भांति बातें बताते रहते हैं।

लोगों की आस्था इनमे इस प्रकार अब जुड़ चुकी है कि लोग इन्हें कलयुग का श्री कृष्णा मानकर उनके बताए हुए पद चिन्हों पर चलने लगे हैं तथा अपने आप को पहले से अधिक सुखी महसूस कर पाते हैं। इसलिए इन्हें उनके सेवक या इनसे प्रभावित व्यक्ति इनको कृष्ण के रूप में पाते है।

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