Basic InfoGeneral Information information

Basant Panchami कब मनाई जाती है और क्यों मनाई जाती है?

आज का यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक साबित होने वाला है क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम हिंदू धर्म के त्यौहार बसंत पंचमी की चर्चा करेंगे आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है, और यह कब मनाई जाती है, तो अगर आप भी हमारे इस आर्टिकल द्वारा दी गई जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को आखिरी तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।

जैसा कि हम सभी जानते हैं हमारे हिंदू धर्म में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि बसंत पंचमी भी हमारे हिंदू धर्म का एक बहुत बड़ा त्योहार है और भारत में बसंत पंचमी का त्यौहार पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत एवं कला की देवी मां सरस्वती के पूजन के रूप में मनाया जाता है, एवं यह त्यौहार हमारे देश में रितु परिवर्तन के रूप में भी मनाया जाता है, बसंत पंचमी का त्योहार भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और बिहार जैसे पूर्वी राज्यों में यह त्यौहार एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है तू चलिए बसंत पंचमी के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

Basant Panchami पर्व पर निबंध।

वैसे तो हम सभी जानते हैं कि बसंत पंचमी पर्व एक हिंदू धर्म क्या त्यौहार है लेकिन यह पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के पांचवे दिन मनाया जाता है क्योंकि जैसा कि हमने आपको बताया था कि यह त्यौहार ऋतु परिवर्तन के समय पर मनाया जाता है, तो इसीलिए यह माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है क्योंकी इस दौरान मौसम बहुत ही संतुलित रहता है इस काल के दौरान ना तो बहुत ही अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत अधिक सर्दी होती है इसलिए इसको बसंत ऋतु का राजा माना जाता है।

बसंत पंचमी का त्यौहार विद्यालयों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन विद्यालयों में भी सरस्वती मां का पूजन और वंदना की जाती है और बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां से बुद्धि विद्या एवं कला का वरदान मांगा जाता है, इस पर्व पर सभी लोग महोत्सव मनाने के लिए पीले रंग के वस्त्रों को पहनते हैं। बसंत पंचमी पर प्रत्येक राज्य में पतंगे उड़ाई जाती हैं, और सुहागन महिलाएं पीले रंग की चूड़ियां दान करती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले और मीठी चावलों का प्रसाद भी वितरण किया जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के अलावा बसंत पंचमी का पर्व नेपाल और इंडोनेशिया में भी बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और नेपाल में इस पर्व को बसंत पंचमी के नाम से ही मनाते हैं, और इंडोनेशिया में इस पर्व को हरी राया सरस्वती के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है सरस्वती का बढ़ाते हैं इसके अलावा बसंत पंचमी का त्यौहार उन सभी देशों में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है जहां कि हिंदू और सिख समुदाय के लोग रहते हैं।

Basant Panchami कब मनाई जाती है और क्यों मनाई जाती है?

बसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने की पांचवी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी पुराणिक के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने जब मनुष्य और अन्य जीव-जंतुओं को बनाया तो उन्हें लगा था कि कहीं ना कहीं कोई कमी जरूर रह गई है जिसके कारण चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है, इसी सन्नाटे को समाप्त करने के लिए उन्होंने एक मानस पुत्री को मां सरस्वती का नाम देकर उत्पन्न किया और जन्म के समय पर मां सरस्वती के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे हाथ में वीणा और तीसरे हाथ में मुद्रा थी और ज्योति हाथ में माला थे तब से ही ब्रह्मा जी के कहने पर मां सरस्वती ने वीणा का वादन किया जिससे स्वर्ग उत्पन्न हुआ था और सभी जीव जंतुओं को और मनुष्य को भी ना कि सुख की प्राप्ति हुई तभी से मां सरस्वती के इस जन्मदिन के के दिन को बसंत पंचमी त्योहार के नाम से मनाया जाता है।

Basant Panchami अत्याधिक महत्व।

यह पर्व गुरू रामसिंह कूका जी के जन्म दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है गुरु राम सिंह कूका जी का जन्म 1816 ई. मैं बसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी गांव में हुआ था। गुरु राम सह कूका जी ने पहले तो अपने रणजीत सिंह की सेना में एक एंड के तौर पर कार्य किया उसके बाद प्रवर्ती होने की सेना छोड़कर अध्यात्मिक प्रवचन करने आरंभ कर दिया और को का पंथ की स्थापना की।

गुरु राम सिंह कूक के अध्यात्मिक प्रवचनो का प्रमुख केंद्र गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अंतरजातीय विवाह सामूहिक विवाह आदि पर था। गुरु राम सिंह जी ने अंग्रेजों के प्रशासन का विरोध करके अपने शासन की प्रशासन व्यवस्था लागू की। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ढाणी गांव में हर मकर संक्रांति पर मेला लगता था अट्ठारह सौ बहत्तर में मेले में आते समय फूफा जी के शिष्य को मुसलमानों ने पकड़ लिया था और उसे बहुत पीटा और गोवत कर उसके मुंह में गौ मांस क्यों दिया यह बात सुनकर राम सिंह जी के शिष्यों में बहुत ज्यादा आक्रोश उठ गया और उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया लेकिन अंग्रेज सेना मुसलमानों के पक्ष में आ गई थी और युद्ध का पासा उस समय पलट गया था।

इस लड़ाई के दौरान कूका वीर शहीद हो गए थे और भी कई लोगों को पकड़ लिया था इसमें 50 शिष्यों को 17 जनवरी अट्ठारह सौ बहत्तर में मलेरकोटला में तोप से उड़ा दिया गया था, और बाकी शिष्य को गले में फसी दे दी गई थी इसके बाद 2 दिन बीतने पर गुरु राम सिंह जी को भी पकड़कर वर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया था और 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सह कर उन्होंने 1885 में अपना शरीर त्याग दिया था।

सरस्वती वंदना:

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दितासा माँ पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनींवीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌ ॥2

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button